Path Dhatu Lot Lakar: हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में हम आपको पठ् धातु लोट् लकार के बारे में विस्तार से बताएंगे | स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओ में इससे बाहर कोई भी प्रश्न नहीं पुछा जायेगा तो इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़े |
Table of Contents
Path Dhatu Lot Lakar
पठ् धातु एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमः पुरुष: पठतु पठताम् पठन्तु
मध्यमः पुरुषः पठ पठतम् पठत
उत्तमः पुरुष: पठानि पठाव पठाम
लोट् लकार का प्रयोग आज्ञार्थक भाव बताने या आज्ञा देने के लिये अथवा आदेश देने के लिए होता है। आज्ञा देना, या याचना करने के लिये या आज्ञा लेने के लिये भी ।
लोट लकार वाक्य अभ्यास :—
1.वह लोभी वैद्य मेरे पास नहीं हो ।
अनुवाद– सः गृध्नुः भिषक् मम समीपे मा भवतु।
2.वे दोनों लोभी पुरुष कार्यालय में न हों।
अनुवाद–तौ गर्धनौ पुरुषौ कार्यालये न भवताम्।
3.जब मैं यहाँ होऊँ तब वे लोभी यहाँ न हों।
अनुवाद– यदा अहम् अत्र भवानि तदा ते लुब्धाः अत्र न भवन्तु।
4.तुम लोभी मत बनो।
अनुवाद– त्वम् अभिलाषुकः मा भव।
5.धन से मतवाले मत होओ।
अनुवाद– धनेन मत्तः मा भव।
6.तुम दोनों महालोभियों को तो महालोभियों के बीच ही होना चाहिए।
अनुवाद– युवां लोलुपौ तु लोलुभानां मध्ये एव भवतम्।
7.तुम सब प्रसन्नता से मतवाले मत होओ।
अनुवाद–यूयं प्रसन्नतया उत्कटाः मा भवत।
8.हे भगवान् ! मैं आपकी कथा का लोभी होऊँ।
अनुवाद–हे भगवन् ! अहं भवतः कथायाः लोलुपः भवानि।
9.हम सब आपके सौन्दर्य का लोलुप होऊँ।
अनुवाद–वयं भवतः सौन्दर्यस्य लोलुभः भवाम।
10.हम दोनों धन के लोभी न हों।
अनुवाद– आवां धनस्य अभिलाषुकौ न भवाव।
11.धन पाकर हम सब मतवाले न हों।
अनुवाद–धनं लब्ध्वा वयं शौण्डाः न भवाम।
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