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वाच्य किसे कहते है – Vachya Ki Paribhasha :
कर्ता, कर्म या भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया के रूप परिवर्तन को वाच्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वाक्य में किसकी प्रधानता है|
अर्थात्
क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष, कर्ता के अनुसार होगा या कर्म के अनुसार अथवा स्वयं भाव के अनुसार, इसका बोध ‘वाच्य’ है।
जैसे —
राम रोटी खाता है। (कर्ता के अनुसार क्रिया) — कर्ता की प्रधानता।
यहाँ कर्ता के अनुसार क्रिया का अर्थ है –राम (कर्ता) = खाता है (क्रिया)।
वाच्य के भेद – Vachya ke Bhed :
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य :–
जिस वाक्य में कर्ता मुख्य हो और क्रिया कर्ता के लिंग, वचन एवं पुरूष के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते है।
जैसे –
a) लड़किया बाजार जा रही है।
b) मै रामायण पढ़ रही है।
c) कुमकुम खाना खाकर सो गई।
इन वाक्यों में जा रही है, पढ़ रहा हूँ, सो गई ये सभी क्रियाएं कर्ता के अनुसार आई है।
2. कर्मवाच्य :–
जिस वाक्य में कर्म मुख्य हो तथा इसकी सकर्मक क्रिया के लिंग, वचन व पुरूष कर्म के अनुसार हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
जैसे –
a) लड़कियों द्वारा बाजार जाया जा रहा है।
b) मेरे द्वारा रामायण पढ़ी जा रही है।
c) वर्षा से पुस्तक पढ़ी गई।
इन वाक्यों में पढ़ी जा रहीं है, पढी गई क्रियाएं कर्म के लिंग, वचन, पुरूष के अनुसार आई है।
3. भाववाच्य :–
जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया का भाव मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहते हैं |
जैसे –
a) हमसे वहाँ नहीं ठहरा जाता।
b) उससे आगे क्यों नहीं पढ़ा जाता। ‘
c) मुझसे शोर में नहीं सोया जाता।
इन वाक्यों में ठहरा जाता, पढ़ा जाता और सोया जाता क्रियाएं भाववाच्य की है।
कर्तृवाच्य:
1. लड़किया बाजार जा रही है।
2. मैं रामायण पढ़ रहा हूँ।
3. ममता ने रामायण पढ़ी।
4. लता गाना गाएगी।
5. धर्मवीर वेद पढ़ेगा।
6. तुम फूल तोड़ोगे।
7. नौकर चाय लाएगा।
कर्मवाच्य:
1. लड़कियों द्वारा बाजार जाया जा रहा है।
2. मेरे द्वारा रामायण पढ़ी जा रही है।
3. ममता से रामायण पढ़ी गई।
4. लता से गाना गाया जाएगा।
5. धर्मवीर से वेद पढ़ा जाएगा।
6. तुमसे फूल तोड़े जाएंगे।
7. नौकर द्वारा चाय लाई जाएगी।
कर्तृवाच्य:
1. राम तेज दौड़ता है।
2. मैं सर्दियों में नहीं नहाता।
3. आशा नहीं हँसती।
4. बच्चा खूब सोया।
5. रमा नहीं पढ़ती।
6. मैं हँसता हूँ।
7. मोर ऊँचा नहीं उड़ता।
भाववाच्य:
1. राम से तेज दौड़ा जाता है।
2. मुझसे सर्दियों में नहीं नहाया जाता।
3. आशा से नहीं हँसा जाता।
4. बच्चे से खूब सोया गया।
5. रमा से पढ़ा नहीं जाता।
6. मुझसे हँसा जाता है।
7. मोर से ऊँचा नहीं उड़ा जाता ।
वाच्य परिवर्तन (कर्ता, कर्म, भाव वाच्य) Video
FAQs
वाच्य किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?
क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं।
वाच्य का क्या अर्थ होता है?
वाच्य– वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय। ‘ क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
कर्मवाच्य में सदैव कौन सी क्रिया का प्रयोग होता है?
दूसरे वाक्य में भी ‘मीरा’ (कर्ता) स्त्रीलिंग है परन्तु ‘लिखा’क्रिया का एकवचन, ‘पुल्लिंग’रूप ‘पत्र'(कर्म) के अनुसार आया है। अतः स्पष्ट है कि यहाँ कर्मवाच्य है। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रिया का ही होता है।